दुल्हन (Poem)





ना नथ, ना झुमका, ना ये हार

बस प्यार ही है मेरा श्रृंगार I



इन गहनों का ना है कुछ मोल

पिया तेरा प्यार है अनमोल I



ये साज़ ये श्रृंगार ये जोड़ा पहन

आज बनी हूँ तेरी दुल्हन I



ये झुकी नज़र नहीं है समर्पण

खुद को तुम्हें करती हूँ अर्पण I



की संग रहें साथ चलें, करें एक दूजे का सम्मान

परछाईं नहीं अर्धांगनी हूँ, रहे सदा ये ध्यान I