Maa (Poem)

This poem is for you maa. By the way its not fiction, all that does happen to me.


मेरे साथ अक्सर ऐसा होता है



आईने के सामने से गुजरती हूँ तो
वहाँ से झाँकता चेहरा, माँ तुम्हारा लगता है


राह पर खडी वो औरत ऐसी लगी
मानो जैसे माँ, तुम ही वहाँ पर हो खडी


अक्सर हर आप-उम्र औरत में
माँ, तुम्हारा चेहरा दिखाई देता है


और...

कभी जब मैं अपने आप को आईने में देखती हूँ तो
मेरे प्रतिबिंब में, मुझे आपका चेहरा दिखाई देता है.